Mahakumbh 2025: 50 हजार क्यूआर कोड और 40 करोड़ श्रद्धालु, जानें ऐसा क्या खास है इस बार

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पूरे जोश और धूमधाम के साथ हो रहा है। हर 144 साल में आयोजित होने वाला यह मेला केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक और सुरक्षा प्रबंधन के लिहाज से भी खास है। इस बार के आयोजन को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ने कई बड़े कदम उठाए हैं। आइए महाकुंभ 2025 को आंकड़ों और तथ्यों के जरिए विस्तार से समझते हैं।

Mahakumbh 2025: 50 हजार क्यूआर कोड और 40 करोड़ श्रद्धालु, जानें ऐसा क्या खास है इस बार

144 साल में एक बार होने वाला आयोजन

महाकुंभ का आयोजन हर 144 साल में एक बार होता है। इसे कुंभ और पूर्ण कुंभ से अलग माना जाता है।

  • अर्द्धकुंभ: हर 6 साल में होता है।
  • पूर्णकुंभ: हर 12 साल में होता है।
  • महाकुंभ: जब 12 पूर्णकुंभ पूरे हो जाते हैं, तब इसका आयोजन होता है।

इस ऐतिहासिक मेले में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। इस बार आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।

महाकुंभ 2025: क्षेत्र और ढांचा

4000 हेक्टेयर भूमि पर फैला मेला क्षेत्र

  • इस बार महाकुंभ का आयोजन 4000 हेक्टेयर भूमि पर किया गया है।
  • पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा गया है।
  • प्रशासन ने इसे प्रयागराज का 76वां जिला घोषित किया है।

41 घाट बनाए गए

  • आस्था की डुबकी के लिए कुल 41 घाट तैयार किए गए हैं।
    • 10 पक्के घाट।
    • 31 अस्थायी घाट।
  • सबसे प्रमुख त्रिवेणी घाट है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य) का संगम होता है।

13 अखाड़ों का जमावड़ा

  • महाकुंभ में कुल 13 अखाड़े शामिल होते हैं:
    • 7 शैव अखाड़े (भगवान शिव की पूजा)।
    • 3 वैष्णव अखाड़े (भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा)।
    • 3 उदासीन अखाड़े (ऊं की पूजा)।

सुरक्षा और तकनीकी तैयारियां

300 गोताखोरों की तैनाती

  • श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए घाटों पर 300 गोताखोर तैनात किए गए हैं।
  • ये गोताखोर पूरे मेला क्षेत्र में कड़ी नजर रखेंगे ताकि किसी भी श्रद्धालु के डूबने की घटना न हो।

15 हजार पुलिसकर्मी और ड्रोन निगरानी

  • मेले की सुरक्षा के लिए 15,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
  • 102 पुलिस चौकियां और 113 ड्रोन निगरानी में लगाए गए हैं।
  • इसके अलावा, NSG और अन्य सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गई है।

50 हजार क्यूआर कोड

  • मेले में कुल 50,000 क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिनका उद्देश्य बिजली संबंधी शिकायतों का तुरंत समाधान करना है।
  • इन क्यूआर कोड को बिजली के खंभों पर लगाया गया है।
  • श्रद्धालु इसे स्कैन कर बिजली विभाग को अपनी शिकायत भेज सकते हैं।

महाकुंभ के प्रमुख आंकड़े

तथ्य विवरण
आयोजन की अवधि 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025
मेला क्षेत्र का आकार 4000 हेक्टेयर
श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या 40 करोड़
घाटों की संख्या 41 (10 पक्के, 31 अस्थायी)
पुलिसकर्मी 15,000
गोताखोर 300
पुलिस चौकियां 102
ड्रोन निगरानी 113
क्यूआर कोड 50,000

महाकुंभ में क्या है खास?

श्रद्धालुओं की सुविधा

  • मेला क्षेत्र में भोजनालय, स्वास्थ्य केंद्र, और लापता व्यक्तियों की सहायता के लिए विशेष बूथ बनाए गए हैं।
  • संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क स्नान घाट बनाए गए हैं।

अद्भुत परंपराएं

  • यहां 13 अखाड़ों का शाही स्नान सबसे बड़ा आकर्षण है।
  • विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए जा रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महाकुंभ 2025 कब और कहां आयोजित हो रहा है?

महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में हो रहा है।

महाकुंभ का आयोजन कितने साल में एक बार होता है?

महाकुंभ का आयोजन 144 साल में एक बार होता है।

मेले की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम हैं?

मेले में 15,000 पुलिसकर्मियों, 113 ड्रोन, और 300 गोताखोरों की तैनाती की गई है।

श्रद्धालुओं के लिए कितने घाट बनाए गए हैं?

श्रद्धालुओं के लिए कुल 41 घाट बनाए गए हैं, जिनमें से 10 पक्के और 31 अस्थायी हैं।

क्यूआर कोड का क्या उपयोग है?

50,000 क्यूआर कोड बिजली की शिकायतें दर्ज करने और सही लोकेशन की जानकारी देने के लिए लगाए गए हैं।

मेले में कुल कितने अखाड़े भाग लेते हैं?

मेले में कुल 13 अखाड़े भाग लेते हैं, जिनमें शैव, वैष्णव और उदासीन अखाड़े शामिल हैं।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या क्या है?

इस बार मेले में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।

प्रमुख त्रिवेणी घाट की क्या खासियत है?

त्रिवेणी घाट पर गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य) का संगम होता है, जिसे पवित्र माना जाता है।

महाकुंभ 2025 की यात्रा पर जाने से पहले यह जानना जरूरी है कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेला कौन-सा है। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें

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